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17 साल के लड़के के लिए इससे बड़ी ख़ुशी क्या होगी कि स्कूल की सबसे खूबसूरत लड़की उसकी प्रेमिका है फिर वो चाहे प्ले में ही क्यूँ ना हो।
वहीं दूसरी तरफ अंशुल भी अनुराग के प्रति एक अलग सा आकर्षण महसूस कर रही थी। प्रैक्टिस का हर एक दिन उन्हें और करीब लाता जा रहा था।
फिर एक दिन प्ले की फाइनल रिहर्सल चल रही थी। प्ले के आखिरी सीन में साहिबा ने मिर्जा के सारे तीरों को तोड़ दिया और साहिबा के भाइयों ने निहत्थे मिर्ज़ा को मार दिया।
उस सीन को करते हुए साहिबा बनी अंशुल इतना खो गई कि मिर्जा बने अनुराग को इस हालत में देखकर फूट-फूट कर रोने लगी। सीमा बत्रा मैडम ने उसकी मासूमियत को देख कर, उसे संभाला और कहा-“बेटा यह सब प्ले है यह रियलिटी नहीं है।”
उस प्ले के बाद अनुराग और अंशुल की जिंदगी बिल्कुल बदल गई थी। उन्हें पता ही नहीं चला कि कब वह एक दूसरे को इतना चाहने लगे।